नभ के आलिंगन में, लिपटा वो मुझें हमेशा मेरा साथी सा लगता है इक सन्नाटा उधर भी है तो ख़ामोश मैं भी हूँ पीड़ा मे वो है दर्द में मैं भी हूँ इक धब्बा उसके दामन पर कुछ दाग मेरे माथे पर है अंकित जलते दोनों है संभवतः पश्चाताप की धवल अग्नि में लोग समझतें है रौशन हमें कुछ बादल ढ़क लेते है उसे कभी परिस्थितियाँ ढ़क लेती है मुझें हर रात जगता है वो तो रतजगा मैं भी हूँ गर वो अब्र का चांद ठहरा तो मैं भी ज़मीं का सहरा हूँ। दोनों अधूरे है मैं और चाँद! #कोराकाग़ज़ #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़महाप्रतियोगिता #yqdidi #yqbaba #मैं_औऱ_चाँद #जीवनरंग