कविता शीर्षक : उपकार ******************** उपकार है उस माता का जिसने मुझको जन्म दिया इस अनोखी दुनियां में लाने का मुझको प्रण किया खुद रातों में जागकर जो मुझसे खेला करती थी जब रोऊँ तो संग मेरे तुतलाने सी लगती थी कभी लोरियां तो कभी प्यारे से वह गीत सुनाया करती थी संघर्ष भरे जीवन पथ पर जो राह दिखाया करती थी कभी ममता की छांव कभी सर्वस्व लुटाया करती थी इस दुनियां में सर्वप्रथम मैं उसका वन्दन करता हूँ ज्ञान, विज्ञान व संस्कार सब उसको अर्पण करता हूँ। नीरज श्रीवास्तव मोतिहारी, बिहार ©Niraj Srivastava upkar #Colors #NirajKiKalamSe #niraj_srivastava_motihari #NirajKiKalamSe #kavi_niraj #niraj_motihari