*लाडो की राख* दरवाजे के पास बैठी माँ रो रही थी, अपने आंसुओं से सैलाब वो बना रही थी, दर्द से आसमा को भी रूला रही थी, सिसकती आंहो से उसे वो याद कर रही थी, मेरी लाडो राख हो गई, जलकर खाख हो गई, ये दास्तां वो सबको सुना रही थी, आज उसकी चिख सन्नाटों में दफन हो गई, मेंहदी का रंग चढ़ा नही वो रक्त से सराबोर हो गई, जरा देखो तो उस राख की कालिख सबके माथे पर सजी होगी, जब मेरी लाडो कसाईयों के हांथों जली होगी।। #life #poetry #quotes #lafz #alfaz #nojoto #like #share