ये मन मयूर की धुन चातक की प्यास भी है पी का मधुर संदेशा विरहा की आश भी है बचपन की ऋतुल छप-छप,यौवन का रास भी है अम्लान उम्र की वो मधुमय सी याद भी है बादल बड़ा सयाना खुश है उदास भी है जलरंग का ये चित्रपट, ये चित्रकार भी है खुद में है एक पहेली या खुद कोई कवि है रिमझिम झड़ी लगी है, संगीतकार भी है थाप ये मृदंग की अनुनय आलाप भी है खारे से उस समंदर का मीठा सा त्रास भी है या आसमान से फिर चली स्वयं ही सुरसरि है देखो तुम्हारे मन की करुणा ही बह चली है देखो तो भीग करके मन यों खिला खिला है सूखी हुई धरा को जीवन नया मिला है मशीनी से इस समय में फुर्सत की दो घड़ी है बरखा के साथ मन की तरंग यों जुड़ी है #Iloverain