मिरे वजूद से लिपटा है ख़ार का मौसम, तेरे वजूद में सिमटा बहार का मौसम। मैं दश्त-ओ-सहरा में प्यासा फिरा किया बरसों, और चश्म-ए-ग़म में रहा आबशार का मौसम। इसे भी दैरो-हरम की याद आ ही गयी, गुज़र गया तेरे ऐतबार का मौसम। वहीं पे रोज़ निकलता है अब ये रंज का चांद, जहां दिलों में उतरता था प्यार का मौसम। मैं लम्हा-लम्हा तुझे याद करके भूला हूं, था रोज़-ओ-शब मिरे दिल पर ख़ुमार का मौसम। #yqaliem #mausam #aitbaar #dasht-o-sahra #pyaas #ranj #chaand #chashm-e-ghum ख़ार - thorn दश्त-ओ-सहरा - desert चश्म-ए-ग़म - eye of sorrow रंज - sadness दैरो-हरम - temple and mosque