#यादों_के_झरोखे से याद आए वो गुज़रे पल, जहां जीना मुश्किल था हर पल, बचपन ही गुज़रा था अनाथ, नही माथे पर कोई हाथ था, बस जीने की एक चाह थी, संघर्ष में गुज़रा था जीवन, नही मिला मुक़ाम कोई अबतक संघर्स आज भी जारी है, क्यो की जीवन हमको प्यारी है, जीने की चाह में हमने, जीवन से की समझौता है, समझौता ही नासूर बना, जो आब भी हमको टीसता है.!! #अजय57, #बज़्म