गम की राहो पर जा रहा था अकेला, जिन्दगी थी उदास छा रहा था अंधेरा॥ राहें थी गुम , रास्ते बेखबर थे॥ उस प्यार की राहो के मुशाफिर हम, और मंजिल वो थे॥ जब हो गये गुमराह तो पता चला जग का मेला, अकेला बढ चल ऐ मुशाफिर कोई नही तेरा॥ @ajaykumarplk about bhai