किसका होकर आया था मैं, किसका होकर जाना है अभी तो देखा थोड़ा हैं, और भी देखे जाना हैं। माँ का आँचल मुट्ठी में, फिर भी रोता जाता हूँ हैं सब कुछ मेरी मुट्ठी मे, सब कुछ मुझको पाना है। दोनो हाथों है समोसे, मुँह मे पानी रसगुल्ले की देख मेरी भूख यहाँ पर, सदमे मे जमाना है।। - SATYA THAKUR #experience #bachpan #maa #satyathakur #कलम_thought