धर्म का झंडा लेकर खुद को, बड़ा बताने वाले थे ! वे ही मासूम ट्विंकल का, गला दबाने वाले थे !! रमजान में भूखे प्यासे रह कर, देह गलाने वाले हैं ! नन्ही बच्ची की हत्या करके, खून पी गए हत्यारे हैं !! जो बचपन में ट्विंकल ट्विंकल, पोयम बोल रही होगी ! मां जननी की ममता वाला, झूला डोल रही होगी !! रमजान का महीना रोजा खोला, ईद का काला दिन था ! उस मासूम सी धड़कन का ,ये अंतिम पाला दिन था !! ये अकबर, बाबर, औरंगजेब के, वंशधरो का काम है ! इनके हवस की शिकार हुई, लाखों बहनों का नाम है !! मैं चुनौती देता हूं , मैं मानव धर्म निभाता हूं ! अलीगढ़ी की बिटिया को, मैं इंसाफ दिलाता हूं !! जो दरिंदे नारी का, सम्मान लूटते दिखते है ! जो जिहादी नारी की, इज्जत लूटते दिखते हैं !! हैवानियत के रखवाले, जो लव जिहाद पाल रहे ! ट्विंकल जैसी लाखो बच्चीयों, के जिस्म पर नाच रहे !! दिल्ली के दरबारों में ये, कैसी खामोशी छाई है ! इसीलिए तो देव धरा पर, ऐसी नौबत आई हैं !! कहां गई वो राम राज्य के, मर्यादा की सौगातें ! अलीगढ़ी में कानूनों की, कहां सो गई औकादें !! मैं हिंद देश का रहने वाला, हिंदू धर्म निभाता हूं ! हत्यारों को फांसी चढ़ा कर, मानव धर्म निभाता हूं !!