गर हाल-ए-दिल सनम तूने समझा होता, तो दिल मेरा तुझसे कभी न खफ़ा होता। जो लगी होती दवा- ए -वफ़ा जख्मों पे, तो दर्द मेरा भी पल में रफ़ा दफ़ा होता। न बहे होते आँखों से अश्क़ बेहिसाब, औ न दिल मेरा आज यूँ गमज़दा होता। ए बेवफ़ा सुन! गर न कि होती बेवफ़ाई, तो इस पाक महोब्बत में तू ख़ुदा होता। गर होता वफ़ा ए इश्क़ में साथ तेरा सनम, तो दिल 'स्नेहा' का तुझसे यूँ न जुदा होता। #स्नेहा_अग्रवाल #मैं_अनबूझ_पहेली #ग़ज़ल #काफ़िया #आ #रदीफ़ #होता