अब वो गिल्ली डंडे वाले दिन नहीं आते न जाने कहाँ गुम हो गए वो दिन उन दिनों में ये लगता था कि कब में बड़ा हो जाऊं और बड़े होने के बाद अब ये लगता है कि काश वो दिन कभी खत्म ही नही हुए होते और वो गिल्ली डंडे खेलते हुए मेरी त उम्र निकल जाती वो कुछ पल की गिल्ली डंडे खेलने की खुशी पूरी ज़िंदगी की खुशी लगती थी और आज सब कुछ होने के बाद भी वो गिल्ली डंडे के दिन ही याद आते हैं गिल्ली डंडे