लफ्ज़ अल्फ़ाज़ काग़ज़ और किताब। कहां कहां नही रखती मै तेरी यादों का हिसाब।। हर वक्त रहती है बस यही एक दरख़ास्त। तू रहे सलामत यार तू रहे आबाद।। कहर मचातें है कभी वो हसीन इत्तेफाक़। मै लहर सी लहराती हूं होकर बेबाक।। अदब से झुका लेती हूं नज़रें कभी सामने। नज़रों के पीछे होते हैं कहे अनकहे लाखों ख़्वाब।। तुम ही महफ़िल मेरी और तुम ही जान। कहां जाऊं तुमसे होके खफा जब तुम ही मेरा ईमान।। नही हैं यार मेरे ज्यादा कुछ अरमान। तुम ही शुरुआत और तुम ही अंजाम।। तेरी सोहबत मे बीते मेरी हर शाम। मेरी मुस्कान की वजह भी है तेरी मुस्कान, बस तेरी मुस्कान।। Happy Friendship Day..😍😍🤗🤗 Ruko jara picture abhi bake hai.🤭🤭 Quote में आपने जो नज़्म या ग़ज़ल या शायरी जो भी देखी। उसका एक अंश यहां पढ़े। "याद"