ज़िंदगी हम पर बोझ क्यों बन जाती है ? मुश्किलें बाधाएं क्यों बन जाती हैं ? तकदीरें कहां से बनकर आती हैं ? हाथों की लकीरें कहां खिंचवाई जाती हैं? खुशियां कहां से लाई जाती हैं ? दर्द देकर इतना क्यों इतराती है ? ज़िंदगी हम पर बोझ क्यूं बन जाती है ? दरअसल, ज़िन्दगी हमें जीना सिखाती है। मुश्किलों से लड़कर जीतना सिखाती है। तकदीरें अपने हाथों से लिखना सिखाती हैं। हाथों की लकीरें मेहनत से खिंचवाती है। छोटी छोटी चीजों से खुशियां दिलवाती है। ये ज़िन्दगी बहुत खूबसूरत है, जनाब ! ठोकर खाकर ही जीना सिखाती है । - प्रज्ञा चन्द्र #pragyachandra #ज़िंदगी_ #hum_par_bojh_kyon_ban_jaati_hai?