कुछ तड़प, कुछ रज़ा, कुछ इंतज़ार रहने दो, होश में रहो मगर, कुछ ख़ुमार रहने दो। क्या मज़ा ज़िन्दगी है गर सब सरेआम हो, कुछ पर्दा भी मेहबूब-ए-रुख़सार रहने दो। रहने दो जो शोख़ हया है निग़ाहों में, कुछ अदा से ज़ाहिर सा इक़रार रहने दो। हसीं ज़्यादा लगता है कुछ बादलों की आड़ में, अधूरा ही माहताब का दीदार रहने दो। बह जाएगा शहर जो हर मौसम ही बरसात हो, पतझडों को सावन का इंतज़ार रहने दो। मिल जाये जो जहाँ तो मज़ा कुछ नहीं है, तूफाँ पर ख्वाहिशों के, इख्तियार रहने दो। लुफ्त-ए-इंतज़ार भी अब कुछ लेकर तो देखो, दिल बेकरार ही यार, इस बार रहने दो।। #रहने_दो #ग़ज़ल #gazal #yqhindi #bestyqhindiquotes #hindipoetry #yqdidi #yqbaba