|| श्री हरि: ||
30 - अपने लिए
'दादा!' कन्हाई बहुत छोटा था तब से विशाल के कन्धों पर बैठता आया है। गोपियाँ तो हंसी में विशाल को कृष्ण का घोड़ा कहती हैं। अब भी यह विशाल के समीप आता है तो उसके कंधेपर ही बैठता है। दूसरे सखाओं के समान विशाल से सटकर बैठना इसने सीखा नहीं है! अब दौड़ा-दौड़ा आया है और विशाल के कन्धे पर अपने दोनों पैर उसके आगे की ओर करके, उसका सिर पकड़कर बैठ गया है।
विशाल सचमुच शरीर से विशाल है। आयु में दाऊ से छोटा होने पर भी ऊचाईं में उससे बड़ा है। जितना ऊँचा, उतना ही तगड़ा। विशाल का आकार भव्य है। इसकी ऊचाई में लम्बापन मनोहर लगता है।
कन्हाई चाहे जब ऐसे ही अचानक आकर इसके कन्धे पर बैठ जाता है और यह मानो प्रत्येक समय इसके लिए प्रस्तुत रहता है। यह तो गोपियाँ जब इसे कृष्ण का घोड़ा कहती हैं तो प्रसन्न ही होता है। श्याम कंधे पर