बचपन का प्यार प्यार था या दोस्ती थी क्या भली वो ज़िन्दगी थी लड़ते थे हम बात-बात पर गुड्डे गुड़ियों की बारात पर ख़्याल नहीं था जरा सा ये की मै लड़का और वो लड़की थी वो मेरी छोटी दुनिया थी मैं उसका आकाश था शायद पता नहीं था प्यार वफ़ा तब बस थोड़ा विश्वास था शायद था जरूरत मैं उसका तब मेरे लिए वो लाज़मी थी #आ_नं_द_की_डायरी #आ_नं_द #बचपन_का_प्यार #collabwithकोराकाग़ज़ #कोराकाग़ज़