आत्म समर्पण कर सारी दुविधा मै स्वयं को पाने स्वयं की खोज में भटक रहा हूं क्या बनोगे मेरे भी सारथी तुम मै रस्ता कब से देख रहा हूं,ओ कान्हा जप,तप और साधना किस प्रकार करू,क्या तुम्हे नहीं पता,क्या तुम्हे खबर नहीं मै संसार से छुपा के तुम्हे पूज रहा हूं। दिखावे की धूल की चंदन नहीं की मैंने नहीं पत्थरों में कभी तुम्हे ढूंढा है, नहीं तेरा खरीदार बन बैठा हूं और नहीं मैंने तुम्हे कभी कहीं बेचा है आत्म समर्पण कर सारी आकांक्षा ओ कान्हा मै खाली पलके मिच रहा हूं आत्म समर्पण कर सारी दुविधा मै स्वयं को पाने स्वयं की खोज में भटक रहा हूं। #आत्मसमर्पण#ओकन्हा#nojoto#nojotowriters