फलक में कर आरुषि आच्छादित बन बालसूर्य फैला प्रभा नित नवीन प्रभात पट बन प्रभापूर्य कर उत्सर्ग आलस्य और परित्याग प्रलोभ दूर्य कृपाण अवगूर्य रच नवीन वाङ्गमय बन धर्मधूर्य बन चैतन्य उपजा वन्ध्य वसुधा पर विरला विदूर्य चीत्कार अब अंबर में मृत्य मानव का विजयतूर्य ! #dr_naveen_prajapati #शून्य_से_शून्य_तक #yourquotebaba #yourquotedidi #नयासवेरा