साँसों का क्या भरोसा साँसों का क्या भरोसा रुक जाए कब कहाँ पर क्यों करना फिर किसी से पलभर को बैर यहाँ पर कर दो हर किसी की थोड़ी सी तारीफ़ निगाह पर चलें जाने पर क्या फ़ायदा उन तारीफों का यहाँ पर चलें जाओं उनसे मिलने, जिनसे मिलें नहीं अरसे से फिर मतलब क्या ही हैं उनके अंतिम यात्रा पर जा कर बन जाओ किसी का कंधा जब हैं सब दुखी यहाँ पर फिर जाने के बाद क्या मतलब चार कंधे ही उसे देकर साँसों का क्या भरोसा रुक जाए कब कहाँ पर कर जाओ काम ऐसा हो शान इस पूरे जहाँ पर काश इन कविता की वाक्यों को ये दुनियाँ वाले समझ पाते कि यहाँ साँसों का सबसे ज्यादा भरोसा नहीं है और हम सबसे ज्यादा उनपर ही भरोसा करते हैं..... क्यों हम सबको माँफ नहीं कर पाते ....क्यों हम ये नहीं सोच पाते कि हमारी लड़ाई से ज्यादा किसी की मुस्कान जरूरी है किसी का इस जहाँ में होना जरूरी है....क्यों सबके चले जाने के बाद ही कहा जाता हैं बड़ा अच्छा इंसान था.... क्यों हम उसके इस जहाँ में रहते हुए उसकी तारीफ नहीं कर पाते.... Usse appreciate Krna to choro hm uske kam ki aur uski value tak nhi krte hai....और उसके चलें जाने के बादस्टेटस लगाते हैं.... आखिर क्यों? #yqdidi #yqbaba #कमी #भरोसा #lockdown #कंधे #अंतिम_यात्रा #तारीफ