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#सृष्टि_गौतम कृति_सच_की वो दोनों योर कोट पर मिले

#सृष्टि_गौतम
कृति_सच_की


वो दोनों योर कोट पर मिले थे। किसी एक कोट्स को गौतम ने लाइक किया और फिर सृष्टि ने उसकी
प्रोफल के ऊपर अपनी नाज़ुक ऊँगली रख दी किसी मासूम बच्चे की प्रोफाइल की तरह दिखने
वाली उस प्रोफइल के अंदर बड़ी बड़ी बातें लिखी गई थी जैसे किसी विद्वान् पंडित की कहीं
बातें हो हिन्दी ऐसी की संस्कृत भी शर्मा जाए शुद्ध पुरातन हिन्दी जो आजकल कम ही देखने
 को मिलती हैं या फिर ऐसा कहें की हिन्दी भाषी राज्यों के लोग ही उसे समझ या बोल सकते हैं।
भाषा पर यह पकड़ और प्रभुत्व इस बात की और इशारा कर रही थी की वह हिन्दी भाषी हैं।
जिसका जिक्र प्रोफाइल में भी हो रहा था। नाम गौतम कुमार सींग  भदौरिया बिहार से
उसने पूरी प्रोफाइल खंगाली और अचरज में पड़ी देखती रही उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था
 कि यह लड़का इसतरह का कुछ लिख सकता हैं, ये तो कोई बच्चा दिखाई देता हैं प्रोफइल से और...
फिर जाने उसके मन में क्या विचार आया उसने फॉलो बटन पर अपनी उँगलि रख दी
कुछ देर बाद सृष्टि के प्रोफाइल पर कुछ हलचल बढ़ने लगी एक के बाद एक कोट्स लाइक
 और कमेंट होने लगे वहीं शुद्ध भाषा वहीं बोली जिसके बारे में सृष्टि अभी सोच ही रही थी
लेकिन वह लड़का उम्र से कुछ छोटा दिख रहा था और सृष्टि को हमउम्र के लडके ज्यादा पसंद आते थे
 जिनकी तलाश वह अक़्सर प्रोफाइल बदल बदल कर करती कभी सृष्टि चौरसिया, कभी कुछ तो
कभी कुछ यह उसका लेखन प्रोफइल था सब प्रोफइल से अलग
"सृष्टि बांवरी " के नाम से अंदर कि जानकारी भी काफ़ी रोचक थी। बाहर से नटटूलाल कि
तस्वीर लगाई तस्वीर अंदर से तो कुछ और ही थी पढ़ने वाला कोई भी इंसान जो चार शब्दों का
अर्थ समझ सकता हो वो इस प्रोफाइल को फॉलो ना करें ऐसा हो ही नहीं सकता।
मग़र जरा बचकर मैडम ने अपने परिचय में जॉब क्या जोड़ा हैं देखों तो जरा "वकील"
तो वकालत करती हैं सृष्टि जी और जनम कि तारीख तो देखों 17 मार्च।
और कुछ लिखा हैं क्या.. सृष्टि के पग इस सृष्टि में आए वो शुभ दिन हैं 17 मार्च
पता नहीं इसके आने से ये दिन शुभ हुआ या इस शुभ दिन पर सृष्टि का जनम हुआ।

(कहानी आगे...)

©Deep Bawara #आत्महत्या_प्रवर्तक_yourquote_मुर्दाबाद 
#yqdidi #yqbaba #restzone #aestheticthoughts  #korakagzz #nojotoapp 
#IntimateLove
#सृष्टि_गौतम
कृति_सच_की


वो दोनों योर कोट पर मिले थे। किसी एक कोट्स को गौतम ने लाइक किया और फिर सृष्टि ने उसकी
प्रोफल के ऊपर अपनी नाज़ुक ऊँगली रख दी किसी मासूम बच्चे की प्रोफाइल की तरह दिखने
वाली उस प्रोफइल के अंदर बड़ी बड़ी बातें लिखी गई थी जैसे किसी विद्वान् पंडित की कहीं
बातें हो हिन्दी ऐसी की संस्कृत भी शर्मा जाए शुद्ध पुरातन हिन्दी जो आजकल कम ही देखने
 को मिलती हैं या फिर ऐसा कहें की हिन्दी भाषी राज्यों के लोग ही उसे समझ या बोल सकते हैं।
भाषा पर यह पकड़ और प्रभुत्व इस बात की और इशारा कर रही थी की वह हिन्दी भाषी हैं।
जिसका जिक्र प्रोफाइल में भी हो रहा था। नाम गौतम कुमार सींग  भदौरिया बिहार से
उसने पूरी प्रोफाइल खंगाली और अचरज में पड़ी देखती रही उसे विश्वास ही नहीं हो रहा था
 कि यह लड़का इसतरह का कुछ लिख सकता हैं, ये तो कोई बच्चा दिखाई देता हैं प्रोफइल से और...
फिर जाने उसके मन में क्या विचार आया उसने फॉलो बटन पर अपनी उँगलि रख दी
कुछ देर बाद सृष्टि के प्रोफाइल पर कुछ हलचल बढ़ने लगी एक के बाद एक कोट्स लाइक
 और कमेंट होने लगे वहीं शुद्ध भाषा वहीं बोली जिसके बारे में सृष्टि अभी सोच ही रही थी
लेकिन वह लड़का उम्र से कुछ छोटा दिख रहा था और सृष्टि को हमउम्र के लडके ज्यादा पसंद आते थे
 जिनकी तलाश वह अक़्सर प्रोफाइल बदल बदल कर करती कभी सृष्टि चौरसिया, कभी कुछ तो
कभी कुछ यह उसका लेखन प्रोफइल था सब प्रोफइल से अलग
"सृष्टि बांवरी " के नाम से अंदर कि जानकारी भी काफ़ी रोचक थी। बाहर से नटटूलाल कि
तस्वीर लगाई तस्वीर अंदर से तो कुछ और ही थी पढ़ने वाला कोई भी इंसान जो चार शब्दों का
अर्थ समझ सकता हो वो इस प्रोफाइल को फॉलो ना करें ऐसा हो ही नहीं सकता।
मग़र जरा बचकर मैडम ने अपने परिचय में जॉब क्या जोड़ा हैं देखों तो जरा "वकील"
तो वकालत करती हैं सृष्टि जी और जनम कि तारीख तो देखों 17 मार्च।
और कुछ लिखा हैं क्या.. सृष्टि के पग इस सृष्टि में आए वो शुभ दिन हैं 17 मार्च
पता नहीं इसके आने से ये दिन शुभ हुआ या इस शुभ दिन पर सृष्टि का जनम हुआ।

(कहानी आगे...)

©Deep Bawara #आत्महत्या_प्रवर्तक_yourquote_मुर्दाबाद 
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