प्यारे ना जान सका कभी तू उन्हें कि वो कितने रिश्ते निभा जाती है वही एक शख्स जिन्होंने थामा था कभी मुश्किलों में तेरा हाथ वो लगी होगी कभी तुझे तेरी मां जब उसने रखा सर पर तेरे हाथ टिकाया होगा जब भी अपना सर तू उनकी गोद में वो तुझे तरी प्रेमिका लगी होगी कभी हथेलियों को थामकर छीनकर फेंक दी सिगरेट व सारे दुर्गुण वो तेरे पापा हो गई... कंधा दिया सर टिकाने को दोस्ती में ना जाने कब से ढूंढ रहा था तू जिस ठिकाने को एक दिन जरा सी चोट पर जब बिलख गई होगी वो तेरी बहन जैसी लगी होगी ना जाने कितने रिश्तों की रंग बिखेर गई और छुपा गई सारी बेचैनियाँ अपने ही सीने में क्या लगता है तुझे उचित सम्मान कभी दे पाया उन्हें तू मुझे तो लगती है हर स्त्री शक्ति स्वरूपा कंधे पे दोस्त , आंखों में मोहब्बत , आँचल में माँ , दिलों में ममता समाये रहती है अकेले ही वो जिसे कदम कदम पर अब तक देनी पड़ी है यहाँ अग्नि परीक्षा वो सम्पूर्ण ब्रह्मांड का बोझ उठाये रहती है -Amar Bairagi #मेरेएहसास केवल अध्यात्म विश्व महिला दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं #नारी_शक्ति_को_नमन