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कहने को जब कुछ नहीं होता दरअसल बहुत कुछ होता है। ब

कहने को जब कुछ नहीं होता
दरअसल बहुत कुछ होता है।
बेशक़ ग़ुस्से में बात न करो
किसी जिद्द में मुलाक़ात न करो
फ़िर भी किसी के लिए दिल
चुप चुप के रोता है।

उलझती ज़ुल्फ़ें बहकते हम
उड़ती सी साँसें ठहरते क़दम
समझने को जब कुछ नहीं होता
दरअसल बहुत कुछ होता है।
बेशक़ ज़िक्र न हो याद ना करो
न किसी की फ़िक्र दिन-रात करो
फिर भी किसी के लिए दिल
छुप छुप के होता है। ♥️ Challenge-905 #collabwithकोराकाग़ज़

♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊

♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा।

♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।
कहने को जब कुछ नहीं होता
दरअसल बहुत कुछ होता है।
बेशक़ ग़ुस्से में बात न करो
किसी जिद्द में मुलाक़ात न करो
फ़िर भी किसी के लिए दिल
चुप चुप के रोता है।

उलझती ज़ुल्फ़ें बहकते हम
उड़ती सी साँसें ठहरते क़दम
समझने को जब कुछ नहीं होता
दरअसल बहुत कुछ होता है।
बेशक़ ज़िक्र न हो याद ना करो
न किसी की फ़िक्र दिन-रात करो
फिर भी किसी के लिए दिल
छुप छुप के होता है। ♥️ Challenge-905 #collabwithकोराकाग़ज़

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