मेरी गली में खुशियों का बसेरा था क्यूँकी वहाँ का हर घर मेरा था बगल के अंकल बिना कहे मुझे टाफी लाते थे दोपहर का खाना हम बच्चे मिल कर खाते थे लेकिन इमारतों के दौर में खो रही है गलियाँ अपने आखिरी दौर में जी रही है गालियाँ अब ना कोई जानेगा किसीको ना अपना मानेगा किसीको पैसे तो सबके पास होंगे लेकिन अकेले सब उदास होंगे..... #MeriGaliMe #Khushi #toffees #इमारतें