गवारा नहीं मुझे... रोज़-की कुढ़न रोज़ की तड़प रोज की अनबन रोज की सुलह.... अब गवारा नहीं मुझको...! हल तो निकले कोई समस्या का... अब हर रोज़ घुट-घुट जीना... गवारा नहीं मुझे...! बहुत बार मन बदला तुम-सा बनाया खुद को लेकिन... रोज का उलाहना अब गवारा नहीं मुझे.... बार बार तुम्हें माफी... भूल जाना सब कुछ... अब यह बात गवारा नहीं मुझको...! Muनेश...Meरी✍️🌿 गवारा नहीं है हमें... #गवारानहीं #collab #yqdidi #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Didi