मेरे तरसते अरमान अब, पूरे होने को बेक़रार हैं। किन लफ़्ज़ों में बताऊँ, कि मुझे तुमसे प्यार है। मेरी बेक़रारी का आलम, तुम समझते क्यूँ नहीं। मुद्दतों से मेरी तन्हाई को, बस तुम्हारा इंतज़ार है। अल्फ़ाज़ों की माला में, हर रोज़ तुम्हें पिरोती हूँ। मेरी हर नज़्म में अब, बस तुम्हारा ही सरोकार है। समझने वालों के लिए, लबों की ख़ामोशी काफी है। खिलखिलाते चेहरों से, आजकल किसे इन्कार है। वक्त बेवक्त तेरी यादें अब, हरदम मुझे सताती हैं। मेरी रुआँसी आँखों में, अब आँसुओं का भरमार है। छोड़ो दुनिया के ताने-बाने, मेरे करीब आ जाओ। मेरा बेचैन मन तो बस, अब तुम्हारा तलबगार है।— % & ♥️ Challenge-850 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें :) ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें। ♥️ अन्य नियम एवं निर्देशों के लिए पिन पोस्ट 📌 पढ़ें।