क्या लिखूँ अपनी इस अधूरी सी मुहब्बत पर क्या लिखूँ? छूट न सकी जो कभी उस आदत पर क्या लिखूँ? तुम्हें पाने की तमन्ना है; तुम्हीं को भुलाने की ज़िद, है ये कैसी चाहत? मैं इस चाहत पर क्या लिखूँ? मुझको करीब ले आए तुम; मुझसे दूर भी हो गए, बेबसी सी है; मैं तुम्हारी हरकत पर क्या लिखूँ? सोचता हूं आँखें मूंद के खुदा को याद करूं मगर! दिखाई तुम्ही दो, तो ऐसी इबादत पर क्या लिखूँ? घंटों गेसुओं को संवारना, मुझे नज़रंदाज़ करना! बात फुर्सत की! तो फिर फुर्सत पर क्या लिखूँ? आँखें भर सी आती है; दिल शोलों जैसा जलता है, ये मुहब्बत ही ऐसी है, तो नफ़रत पर क्या लिखूँ? ©एस पी "हुड्डन" #क्या_लिखूँ #PoetInYou