"तुम ठहर गए होते तो ऐसा ना होता," क्या नहीं सहा मैने तुम्हारे जाने के बाद तुम ठहर गये होते तो ऐसा न होता , एक पल भी तुमने मुड़ कर न देखा कोई जीता है तुम्हारी एक नजर की खातिर बिखर गये सब सपने तुम्हारे जाने के बाद क्या नहीं सहा मैंने तुम्हारे जाने के बाद । तुम पुरुष थे हाथ छुड़ा कर चले गये दिल में खुद भी चोट खा के चले गये , न संवरा मेरा जीवन ,न तुम संवर सके खड़े हैं दोराहे पे न सुपथ चुन सके , अहंकार कैसा था ये , सोचा तेरे जाने के बाद क्या कुछ नहीं सहा मैने तुम्हारे जाने के बाद । न मेरी मजबूरी समझे, न जजबात मेरे क्यों नहीं समझे तुम अहसास मेरे प्यार किया था क्यों बेदर्द होकर चले गये राख हुई सब उमंगें तेरे जाने के बाद क्या कुछ नहीं सहा मैने तेरे जाने के बाद।। अब क्या सौंप दूं तेरे हाथों में मै, बटोर सकते हो क्या राख बिखरी हुई , तब समझे होते तो कुछ और होता तुम ठहर गये होते तो ऐसा न होता न तुम मायूस होते न मैं बेजान होती न प्यार अपना अमर बन के रोता तुम ठहर गये होते तो ऐसा न होता ।। #Love सब कुछ लुटा के होश में आये तो ,,,,,,,,,