हरा होगा कभी पतझङ, मुझे सचमुच नहीं लगता।
तरस आता है खुद पर ही, बुरा तो कुछ नहीं लगता।।
कहा तो है जङों ने डालियों से फिक्र मत करना।
खिलेंगे फूल फिर से अब, मुझे बिल्कुल नहीं लगता।।
अंधेरे में चले थे हम जहाँ बारिश का मौसम था।
मुझे मिट्टी का मखमल आजकल दलदल नहीं लगता।। #vvs