ये चांद मेरे संग चलता है वो देखकर बचपन में मज़ा आता था, ये चांद मेरे संग क्यों चलता है वो अचरज भी होता था, पर चांद मेरे संग चलता था इसीलिए वो अच्छा लगता था, आज भी ऑफिस से घर तक वो साथ आता है देरी वाली शाम को, चलता है मेरे संग नाइट वाली वॉक पर सुनता है बातें मेरी जब मुझे करनी होती है टॉक, और बांटता है खामोशी जब मुझे नहीं कहना है कुछ, जो किसी को मैं नहीं कहता वो बातें सारी उसके पास संभाल के रखता है, जो कहनी है मुझे किसी से उन बातों को भी संभाल लेता है, बस यूं ही चांद मेरे संग रहता है चलता रहता है, इसीलिए वो आज भी अच्छा लगता है एक पुराने दोस्त सा लगता है।— % & 🧡📙📙🧡 #moon #moonwalkswithme #night #nostalgia #friendship #latenightthoughtbazaar #hindipoems #grishmapoems