रूठना मनाना हँसना रुलाना सब तुमसे ही सिख रही थी मैं, हथेली पर दिल रखकर तुझे इश्क़ सौप रही थी मैं, इस खुद्दार दुनियां मे तुझे अलग समझ रही थी मैं, तभी आहिस्ता आहिस्ता तुझे करीब लाकर ख़ुद से रूबरू करा रही थी मैं, अपनी बेताबियो को बढ़ा कर मेरी धड़कनो को तुझे सुना रही थी मैं, कुछ यूँ मोहब्बत के आग मे जल रही थी मैं, जाते जाते बस ये कहा तुमने की सब खतम हो चुका haii💔 उस रोज़ कुछ कह न पायी थी मैं ... हाँ क्योंकि अंदर से पूरी टूट चुकी थी मैं ... इश्क़ मे जिस्म की चाह को भी मैंने तुम्हारा प्यार समझा था शायद , उस चाहत में तुम भी फँसे थे शायद इसलिए तुम मेरे इश्क़- ए- जूनून से वाक़िफ़ नही थे ..... हाँ शायद तेरे एक चाहत को ही इश्क़ समझ रही थी मैं .... तेरे हर एक झूठ को इश्क़ में घुले शब्द समझ रही थी मैं ... पागल थी मैं जो धीरे धीरे तुझ संग मोती बन एक प्यार की माला पिरो रही थी मैं भूल गयी थी मैं टूटे जो अगर माला तो बिखरते सिर्फ मोतिया ही है, टूटते सिर्फ़ मोतिया ही है ...... धागा तो किसी से भी जुड़ काम आ ही जाता है😅.... -Yachana Jaiswal try to write a short story 😇 #storyteller #storytelling #hindiwriter. #loveforyou #yqwriter #hindistory #loveforwrites.