मैं क्या बताऊं अपनी दास्तां-ए-हालात ये महफिल। तूझी नें तो रुसवा किया और तुझी नें अपनाया। सब कुछ सही चल रहा था एक गलती क्या की। कि सभी नें ठुकराया। अच्छा किया ठुकरा दिया। हम उस महफिल के काबिल ना थे। चले थे मोहब्बत करनें पर हमें क्या पता था। इन महफिलों की रंजिसों का। ये सारा मंजर था जाति के बिवादों का। सारा ज़माना मेंरे खिलाफ था। पर दोंनो के दिलों का झरोंखा अभी भी इक साथ था। मोंहब्बत की थी हमनें जनाब दिल तोडना मेरे उसूलों के खिलाफ था। Sudhir Yadav😍 #citysunset #ज़िन्दगी #ज़माना #yqdidi #yqbaba #yqquotes #mohabbat #Love #Pyar #mahphil_212 OM BHAKAT "MOHAN,(कलम मेवाड़ की)