आब ने क़तरा, क़तरे ने दरिया, दरिया ने समंदर बना रक्खा है... उस शक़्श ने अच्छे-ख़ासे मकां में ख़ुदको खंडहर बना रक्खा है... ताहिर "इकबाल" ©Tahir Iqbal #Maazrat