किशोर छंद किशोर मुक्तक "बालाजी" एक आसरो बचग्यो थारो, बालाजी। बेगा आओ काम सिकारो, बालाजी। जद जद भीड़ पड़ी भकताँ माँ, थे भाज्या। दोराँ दिन से आय उबारो, बालाजी।। *** *** किशोर छंद विधान - किशोर छंद मूल रूप से एक मात्रिक छंद है। इसके प्रत्येक पद मे 22 मात्राएँ होती हैं तथा यति 16 व 6 मात्राओं पर होती है। पद की मात्रा बाँट अठकल*2, द्विकल*3 होती है। इसमे पदांत मगण (222) से हो तो यह छंद और भी सुंदर हो जाता है। इस छंद में चारों पद समतुकांत रखे जाते हैं। किशोर मुक्तक :- किशोर छंद के यदि तीसरे पद को भिन्न तुकांत कर दें तो यही 'किशोर मुक्तक' में परिवर्तित हो जाता है। बासुदेव अग्रवाल 'नमन' ©Basudeo Agarwal #नमन_छंद