वो शाम ग्रीष्म की बहती हवा अनोखी रत्नमयी पूनम में नाचती अबलखा मैनो की जोड़ी... धरा को चूमती बूँद घटा की लौटती मनमोहक हरियाली झूलती वट की सुंदरतम छटा और बलखाती मक्के की सुनहरी बाली... देख विहग की नभ में उड़ान तारे छूते मन के पंछी वो डूबता हुआ अल्हड़ रवि और शोभती उससे हर फूल कली... शाँत और स्थिर नीरनिधि मन को भाता शीतल समीर महकता ग़ुलाब खिला हुआ कमल छिपता चाँद और सितारों की झिलमिल... सतरंगी पुष्पलताओं का अपना श्रृंगार मरु में बर्फ़ और वर्षा का हित अंबार देख प्रकृति की ग्रीष्म लीला हर मन ढूँढने निकले अम्बर नीला... #ग्रीष्म_की_शाम #ग्रीष्मऋतु #nature #naturediariesbyarpit #yqbaba#yqdidi#yqhindi #mothertongue_verse