ए संगमरमरी बदन तारीफ़ में लब्ज़ कम पड़ जाते हैं देखकर तेरा जलवा मेरी जाँ परवाने जल जाते हैं! उफ़्फ़ ये हुस्न ओ अदा कैसी कैसी क़यामत ढाते हैं ए बहारों की मल्लिका फूल भी तुमसे रंगत पाते हैं ए जाने चमन तेरी एक निगाह से फूल खिल जाते हैं जहाँ जहाँ रखो हसीं क़दम उजाड़ चमन बन जाते हैं रूप तेरा ऐसा मस्ताना देख आसमाँ झुक जाता है तेरे अदब ओ इस्तक़बाल में बादल भी बरस जाते हैं निकला ना करो तुम सज धज कर, मेरी जाने बहार तितलियाँ ही नहीं फूल चूमने भँवरे भी चमन में आते हैं ♥️ Challenge-944 #collabwithकोराकाग़ज़ ♥️ इस पोस्ट को हाईलाइट करना न भूलें! 😊 ♥️ दो विजेता होंगे और दोनों विजेताओं की रचनाओं को रोज़ बुके (Rose Bouquet) उपहार स्वरूप दिया जाएगा। ♥️ रचना लिखने के बाद इस पोस्ट पर Done काॅमेंट करें।