माँ शारदे तुझको नमन है मच रहा जिंदगी में हाहाकार था हर तरफ फैला अन्धकार था मैं देखने की कोशिश करता रहा मगर छोटी-छोटी बातों से डरता रहा उम्मीद की किरण ही उस दिन नजर आई जब मेरे पिता ने मुझे कलम थमाई माँ शारदे का ऐसा हुआ वरदान मेरे शब्दों का भी थोड़ा हुआ गुणगान मुझ बंजर भूमि को बनाया जिसने चमन है है माँ शारदे तेरे चरणों में शत-शत नमन है महेंद्र बंशी मेघवंशी