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कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है कभी डराया तो कभ

कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है

पैसे बालो के पीछे चमचे ही फिरा करते है
ईमान बाले को बईमान बताया जा रहा है

भूलना ही है तो भूलते क्यों नहीं दुश्मनी
कमज़रो को कर्ज तले दबाया जा रहा है

पैसों की मद में क्या ख़ूब रंजिश है निभाई
आंगन की बीच में दीवार बनाया जा रहा है

©prakash Jha कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है
कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है

पैसे बालो के पीछे चमचे ही फिरा करते है
ईमान बाले को बईमान बताया जा रहा है

भूलना ही है तो भूलते क्यों नहीं दुश्मनी
कमज़रो को कर्ज तले दबाया जा रहा है

पैसों की मद में क्या ख़ूब रंजिश है निभाई
आंगन की बीच में दीवार बनाया जा रहा है

©prakash Jha कुछ इस तरह गरीब को सताया जा रहा है
कभी डराया तो कभी धमकाया जा रहा है

चार पैसे क्या कमा लिए है शहर जा कर
हम गरीब को गावँ से भगाया जा रहा है

खोने को जिसके पास कुछ भी नहीं बचा
उसकी ज़मीन पर हक जताया जा रहा है
prakashjha2842

prakash Jha

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