अरमानों की गठरी बांधे गांव से शहर आए हैं.. कुछ हसरतो को दिल में लिए माँ-बाप की उम्मीदे भी साथ लाए हैं.. बहन की शादी का सपना भी साथ-साथ चल रहा हैं.. इस छोटे से मन में ना जाने क्या-क्या पल रहा हैं.. ख्वाब, ख्वाहिशों, जिम्मेदारियों का बोझ बढ़ता जा रहा हैं.. और ये वक्त है के हाथ से निकलता जा रहा हैं.. कोशिशें मेरी फिर भी निरंतर जारी है.. मै भी हार नहीं मानूँगा ऐ वक्त.. कुछ कर गुजरने की मन में जो ठानी है. --प्रिया शर्मा ©priya sharma #अरमानो की गठरी...