ढूंढ रहा हूं कल मैं पूरा आज निकल गया इस हल में, उस कल भी खोजा कल को हां ! वहीं कल जो आज बन गया.... बस ढूंढ रहा अच्छे कल को मैं पर हासिल न होता लगाता पूरा बल मैं, वक़्त के साथ धुंधली पड़ जाएगी नज़र ढूंढते हुए आज से अच्छा कल में । सुकून का वो पल अब कहीं नहीं वैसे ही जैसे वो कल कहीं नहीं, जो आज ये गुज़रा तो फिर कल कहीं नहीं तेरे ख़्याल के सिवा परछाई तक नहीं बस मलाल के सिवा ।। - Rahul Roy 'Dev'© #Tommorrow #Life #Learn #Faster #noturningback #Zindagi #poetry #kavita #CalmingNature