न कोई तन्हाई थी, न कोई तराना था जब मन हुआ तब ही खेलने जाना था न कोई शर्म थी न कोई लिहाज़ था जहाँ दिल किया वहां हँसने का स्वर खास था याद आते हैं वो बचपन के दिन जब, बारिश में कागज की कश्ती के पीछे दूर तक जाना था।याद आते है बचपन के वो दिन.......... #यादें#बचपन#दोस्त#Nojotohindi#Nojotoenglish#hindiShayari#GudiyaGupta