कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना कहना उससे तुम वहाँ खुश रहना मुझे अपने गम भिजवा देना। कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना ना देखना मुझे नफरत- ए - निगाओ से बस इतनी बात उसे बता देना अपने दिल में ना कोई मलाल रखना बस मेरी यादों को भिजवा देना कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना मुड़कर ना देखना उन लम्हो को इस बात का ज़रा ध्यान रखना कोई पूछ भी ले की कौन है तुम्हारी हँसकर मुझे अनजान बता देना कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना पोशीदा रखना इश्क़ के किस्से को किस्सा-ए -इश्क अखबार में ना छप जाए मुकद्दर नहीं था साथ हमारे बस खुद को ये बात समझा देना कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना नहीं चाहते थे इश्क़ में मजबूर होना बस किसी अजीज का दिल ना दुःख जाए इश्क़ को गुनहगार ठहराकर तुम अपनों को देख मुस्कुरा देना कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना । भीग जाए गर पलके उसकी ए फ़िज़ा उसकी नम आँखों को सुखा देना नहीं देख सकती उसकी आँखों में आँसू मै बस इतनी सी बात उसे बता देना कभी गुजरते हुई राहो में वो टकरा जाए तो ए फ़िज़ा उसको मेरा सन्देश पंहुचा देना । Ig / @kajals.quotes #kajuwrites #nojoto #poem