पैदा होने से लेकर मृत्यु तक, आख़िर मेरी हैसियत क्या है! डोली से अर्थी तक के सफ़र में, आख़िर मेरी शख़्सियत क्या है! मुझे बचपन से ही सिखाया गया कि कब क्या कैसे करना है। मायके से लेकर ससुराल तक में सबको कैसे ख़ुश रखना है। आत्मसम्मान क्षतिग्रस्त होकर भी मुख से उफ़्फ़ न करना है, हैवानियत सहकर जीना है और फिर घुट-घुट के ही मरना है। #contest 10 (Hindi/उर्दू) #yourquotedidi #yourquotebaba #shabd_watika #मेरी_हैसियत #nayi_kalam #urdu_hindi Collaborating with शब्द वाटिका