बेखबर है आज भी उस शहर की वो हर शाम कि जिसके दरम्यान तमाम नामुकम्मल मुलाकातें हुआ करतीं थी खामोश है आज भी उस शहर की वो हर गली कि जिसके पनाह मे तमाम अनकही बातें रोज हुआ करती थी गमजदा है आज भी उस शहर की वो हर रात कि जिसके आगोश मे कई पलकें नम हुआ करती थी मुंतज़िर है आज भी उस शहर की वो हर सुबह कि जिसके साथ ही तमाम ख्वाहिशें फिर एक मरतबा आबाद हुआ करती थी , काफी अरसे बाद मै आज उस शहर से फिर एक मरतबा रुबरु होने गया था ,कुर्बत का वो दौर जिसे जिया था हम दोनों ने ,गुजरे उस दौर के वो लम्हे किसी नगमा -गर के मानिंद गुनगुनाने गया था नही मयस्सर अब वो रुहानियत उस फिजा मे कि जिसकी तर्ज पर मै उन लम्हों को गजल बना गुनगुना पाता बाबजूद रुह की तसल्ली के खातिर मै अपने जज्बात फिर एक दफा आजमाने गया था , आलम ये है कि अब वहां उन दिनों जैसा कुछ भी बाकी नही रह गया ,हर एक कोना उस शहर का एक नामुकम्मल दास्तां कह गया ,जुस्तजू जहन की मेरे जो आज भी मुझे उस शहर पर यकीन कर पाने की कुव्वत अता करती है ,महज उस जुस्तुजू ने देखो आज उस शहर के बंजर हर उस कोने को मेरी नातमाम हसरतों के अश्कों से भर दिया ।। #NojotoQuote