कुछ कुछ मौसम जैसा है वो भी रंग बदलता है। बाहर दिखता है वो शख़्स बमुश्किल घर से निकलता है। आग भरा है उसके अंदर धीरे धीरे सुलगता है। ना जाने अरमान है कैसे वक्त बेवक्त मचलता है। अपनी धुन में रहता है तन्हाई से गुजरता है। अब तो चलना सीख लिया फिर भी गिरता सम्हलता है। वो भी रंग बदलता है। #yqbaba #yqdidi #yqbipin #yqquotes #yqthoughts #yqhindi #yqshahitya #yqshayari