हजारों किताबें लिख गई मेरे ऊपर छप गए लाखों इश्तेहार अपनी जिंदगी में कैसे समझोगे तुम मेरी अहमियत बता दो ना यार, पीढ़ी दर पीढ़ी बस पहनावे बदल रहे हैं और सोच आज भी वही पुरानी है बस लिखने के तरीके बदल चुके हैं पर आज के अखबारों में मेरी वही कहानी है, शुरुआत चाहे घर से हो या हो सड़कों से मारा चाहे पेट में जाए या कम समझा जाए लड़कों से, पर नसीब हमारा तुम लिख दो तो हमारा हर हिस्सा तुम्हारी निशानी है गर कर ले हम अपने मन की तो तुम्हें हर दफा वो पुरानी कहानी दोहरानी है। ©NEHHA RAGHAV #SpeakOutLoud #haq #letstalk #Ladayi #haqkiawaz #speak #Talking #Bol #WatchingSunset