मेरी माँ का वो धानी आँचल लाएगा क्या नया साल ये वो दुआएँ आसमानी रखेगा सर पे आसमान ये वो जैसे लहरे करें हैं झिलमिल चमक उठेगा संसार फिर से इन किलकते पखियों सा चहकेगा क्या घर-बार फिर ये ये संजीवनी काशी वाली बहेगी गंगा सी धार फिर से महक उठेगा लोबान जैसा कर्पूरी स्वप्नों का सार फिर से गूँजेगी शंख और घण्टधवनियाँ मिटेगा कलुषित अवसाद मन से #toyou#mummy#yqlove#yqbanaras#newyearreflection