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पुरुष तन में फंसा स्त्री मन 👇 कविता अ

पुरुष तन में फंसा स्त्री मन
           👇 
कविता अनुशीर्षक में पढ़े 
मुझे पसंद थे चूड़ी पायल
साड़ी , झुमके , काले– काजल
लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ?
पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ?
ये आसपास के लोग है कहते
ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं
ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं
पुरुष तन में फंसा स्त्री मन
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कविता अनुशीर्षक में पढ़े 
मुझे पसंद थे चूड़ी पायल
साड़ी , झुमके , काले– काजल
लेकिन डरता था क्या लोग कहेंगे ?
पहनूंगा तो , क्या लोग हंसेंगे ?
ये आसपास के लोग है कहते
ये हाव भाव तेरे ठीक नहीं
ये सजना– संवरना मर्दों की सीख नहीं