ख्वाइशें महताब की लेकिन हासिल पत्थर किसी का पड़ाव बस किसी की मंजिल पत्थर पता नहीं कहाँ- कहाँ ढूढते हैं ख़ुदा को, जिससे नींव बनी सजदे के क़ाबिल पत्थर! पत्थरों में चलके जिनके हुए हैं छाले, सिर्फ उसको हुआ है नसीब मखमल पत्थर! मेरा क़त्ल कर दिया जिसने मोहब्बत में, उसके सीने में है मौजूद क़ातिल पत्थर! जो पाता है सच्चे इश्क़ में द़गा यारों, हो जाता है एक रोज़ उसका दिल पत्थर! कविराज अनुराग #Gazal #Lovefullypoetry #kavirajanurag #गज़ल