कवि हूं साहब, चहुं दिशा खुशियां फैलाता हूं, कभी इस नगर कभी उस नगर जाता हूं, सबसे प्यार से मिलता हूं, गीत प्यार के गुनगुनाता हूं, कवि हूं साहब,कभी रोता हूं तो कभी मुस्कुराता हूं, आज कल नोजोटो पे लिखता हूं, नोजोटो से दिल के अरमान बताता हूं, जहां जहां नोजोटो आयोजित होता है, वहां वहां चला जाता हूं, कवि हूं साहब, कभी चिड़िया बन चहचहाता हूं, कभी दुनिया में रंग भरने तितलियों सा उड़ जाता हूं, कभी आशा से भर जाता हूं, कभी किसी की प्रेरणा बन जाता हूं, कभी साहित्य सृजन में लग जाता हूं, कभी आशिकों के दिल का हाल सुनाता हूं, वीरता शौर्य से भर कभी, जवान देश का बन जाता हूं, कवि हूं साहब, हर डगर,हर नगर जाता हूं, घाट घाट का पानी पी आता हूं... कभी किसी प्रेयसी के, कानों का झुमका बन जाता हूं,, कभी भाल पे - ललाट पर, विजय तिलक बन जाता हूं, चुनाव रण में कभी मैं, श्री नरेंद्र मोदीजी सा विजई हो जाता हूं, कभी पराजित हो राहुल जी सा, मन मौन हो जाता हूं, भविष्य कि योजनाओं में लग जाता हूं, कवि हूं साहब, कभी शहीदों की शहादत मैं, मौन मन से आंसू बहाता हूं, कभी विशाल गर्जना कर, शत्रु देश पे, सर्जिकल स्ट्राइक, और स्ट्राइक कर अता हूं, कभी युद्ध विजय का स्वर्णिम अध्याय लिखता हूं, कभी अपने इश पे, श्रद्धा सुमन चढ़ता हूं, कभी नव विवाहित के मांग का सिंदूर बं जाता हूं, व्यथित हो कभी श्रमिकों का, दर्द बयान कर जाता हूं, किसी भूखे का, एक अदद रोटी का टुकड़ा बन जाता हूं कवि हूं साहब... Nojoto पे लिखता और सुनता हूं... कभी Coho-Nojoto- ke मंच पे... हंसता हूं, खिलखिलाता हूं,मुस्कुराता हूं... #abhishekism