#OpenPoetry हुं चिटी सा, जिद्द है चींटी सी, रोक मुझे ना रोक पाएगा.... हौसले है, उड़ान भरूगा, संघर्ष कर फल ले आऊंगा.... समंदर की लहरों सा शत्रु मेरा, लहरों को चीर नौका पार कर जाऊंगा... ना हार माना हु, ना हार मानूंगा, प्रयासो के ईटो से विजय घर बनाऊंगा....! है चुनौती, चुनौती स्वीकार कर, संघर्ष पर निकल जाऊंगा.... वाणी नहीं, कलम की धार से, विजय गीत लिख खाऊंगा.... जब संकट हो अंधेरों सा, तब दीपक सा चमक जाऊंगा.... ना हार माना हु, ना हार मानूंगा, प्रयासो के ईटो से विजय घर बनाऊंगा....! लोगों की आंखें खोल, इंसानियत क्या है दिखलाऊंगा.... मां है, बेटी है, बहन है, आखे खोल, ये भी बतलाऊंग.... धर्मीय, जातियों को छोड़ कर, भारतीय हूं समझाऊंगा.... ना हार माना हु, ना हार मानूंगा, प्रयासो के ईटो से विजय घर बनाऊंगा....! #OpenPoetry